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हिंदी अनुभाग, केरेजसंके, होसूर

गतिविधियाँ:-

  • वर्ष में दो बार अर्धवार्षिक समाचार पत्र और एक बार वार्षिक प्रतिवेदन को द्विभाषी में  छापे गए है।
  • वर्ष में चार हिंदी कार्यशालाएं, रा.भा.का.स. की बैठकें आयोजित की गईं।
  • प्रत्येक वर्ष केन्द्र में 14 सितंबर को  दिवस / सप्ताह / हिन्दी पखवाड़ा आयोजित किया जाता है।
  • मिसिलों के पिछे द्विभाषी मॆं टिप्पण छापे गए है व सभी गलियारों व कार्यालय के कमरे में हिंदी सुविचार लगवाएं गए है।
  • अधिकारियों व कर्मचारियों हेतु राजस्थान पत्रिका (हिंदी दैनिक), विज्ञान प्रगति (हिंदी) को नियमित रूप से खरीदा जा रहा है।
  • इस केन्द्र में विभिन्न हिंदी दस्तावेजी चलचित्र  को प्रदर्शित किया गया।
  • प्रशासन अनुभाग के कर्मचारियों एवं वैज्ञानिकगण  द्वारा दिनचर्या प्रकार के टिप्पणियों को हिंदी में लिखा जा रहा है।/ 
  • केन्द्र मे राजभाषा अधिनियम 1963-धारा 3(3) एवं राजभाषा नियम 05 (हिंदी में प्राप्त पत्रों के उत्तर हिंदी में) का अनुपालन किया गया एवं सभी निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त किया।
  • हिंदी को बढावा देने हेतु, इस केन्द्र के लिए हिंदी पुस्तकों को खरीदा गया तथा अधिकारियों व कर्मचारियों के उपयॊग हेतु पुस्तकालय में रखा गया है।
  • इस केन्द्र में उपलब्ध सभी साईन बोर्डों को द्विभाषी में किया गया।
  • हिंदी को बढावा देने हेतु, इस केन्द्र के कर्मचारियों / वैज्ञानिकगण द्वारा लिखे स्वरचित लेख, कविता, छोटी कहानी आदि को रेशम भारती, रेशम किरण में प्रकाशित किया गया।
  • हिंदी को बढावा देने हेतु, इस केन्द्र के लिए श्रीलिपि, यूनिकोड जैसी सॉफ्टवेयर को खरीदा गया।
  • केन्द्र के  वेबसाइट को द्विभाषी में किया गया।
  • सभी प्रतिभागियों को हिन्दी कार्यशाला में प्रमाण पत्र जारी जारी किया गया।
  • इस कार्यालय के सभी रबड़ की मुहरें एवं अधिकारियों / वैज्ञानिकों के विजिटिंग कार्ड को द्विभाषी में किया गया है।
  • इस केन्द्र को वर्ष 2013 – 14 हेतु राजभाषा कार्यान्वयन के उपलब्धियों के लिए द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • केंद्र  के सभी मिसिलों पर द्विभाषी में केरेजसंके, होसूर के कार्यालय के नाम का स्टिकर तैयार कर मिसिलों पर चिपकाया गया।
  • केन्द्र के सभी अनुभागों के नाम पट्ट को द्विभाषी में गया है।
  • केन्द्र में राजभाषा हिंदी के प्रति रूचि को बढाने के लिए अधिकारियों / कर्मचारियों हेतु कादम्बिनी हिंदी पत्रिका को सब्सक्राइब  किया गया है।
  • राजभाषा कार्यान्वयन हेतु केरेजसंके के सफेद बोर्ड पर द्विभाषी में संबंधित विभाग द्वारा हिंदी और अंग्रेजी में बारी -बारी से “आज का शब्द” ” लिखा गया है।
  • इस केन्द्र में “प्रभावशाली समय प्रबंधन” के विषय पर प्रेरणात्मक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत संगोष्ठी आयोजित किया गया।
  • “ सकारात्मक नज़रिए ” पर हिन्दी में संगोष्ठी / प्रेरणात्मक व्याख्यानमाला में केन्द्र की श्रीमती. एम. मुत्थुलक्ष्मी, वैज्ञा- डी, श्री. जी. थनवेन्दन, वैज्ञा- बी व श्री. एस. सेकर, स. नि. (संगणक) में भाग लिया।
  • हिन्दी का अल्पज्ञान रखने वाले केरेजसंके, इएसएसपीसी, एसएसपीसी,  होसूर के सभी वैज्ञानिकों /अधिकारियों/ कर्मचारियों को श्री.एम. पी. दामोदरन, उप निदेशक (रा.भा), कॉफी बोर्ड, बैंगलूर द्वारा गूगल अनुवाद का प्रशिक्षण दिया गाया।
  • इस केन्द्र के सभी वैज्ञानिकों / अधिकारियों के विजिटिंग कार्ड्स, रबर सील, सेक्शन बोर्ड्स, डिस्प्ले बोर्ड्स, लेटरहेड,  नेम प्लेट आदि को द्विभाषी  में किया गया है।
  • केरेजसंके, होसूर के हिन्दी अनुभाग के द्वारा अलग से हिन्दी एवं अन्य भाषी पत्रिकाओं को पाठकों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
  • केंद्र के कर्मचारियों/वैज्ञानिकों / अधिकारियों सरकारी कामकाज मूल रूप से हिंदी में कार्य करने  हेतु उन्हें विभाग की ओर से नगद पुरस्कार प्रदान किया गया है।



 

  • केरेजसंके, होसूर ने क्षे. का. केरेबो, चेन्नै को समय समय पर ऑन लाइन के माध्यम से आवश्यक सहायता प्रदान कर  हिन्दी के कामकाज के अतिरिक्त कार्यभार को संभाला। जिसके  अंर्तगत निम्नलिखित कार्यों का निष्पादन किया गया।
  • क्षे. का. केरेबो, चेन्नै के सभी अधिकारियों के विजिटिंग कार्ड्स, रबर सील, सेक्शन बोर्ड्स, डिस्प्ले बोर्ड्स, लेटरहेड,  नेम प्लेट आदि  को द्विभाषी  में किया है।
  • क्षे. का. केरेबो, चेन्नै को सुझाव देकर सभी डिस्प्ले बोर्ड्स, साईन बोर्ड्स, आदि को द्विभाषी / त्रिभाषी में करवाया गया।
  • नियमित रूप से हिंदी कार्यशाला, नराभाकास  एवं  राभाकास की बैठक का आयोजत किया गया है।
  • एसएसपीसी, धर्मपुरी, एसएसपीसी, होसूर, एसएसपीसी, तिरुपत्तूर व क्षे. का. केरेबो, चेन्नै के दो संगणकों में हिन्दी यूनिकोड  सॉफ्टवेर की स्थापना इस केन्द्र के श्री. एस. सेकर, स.नि. (संगणक) की सहायता से स्थापित किया गया।
  • केंद्रीय कार्यालय से प्राप्त  द्विभाषी एफएएस पीआरएस पैकेज को इस केन्द्र में श्री. एस. सेकर, स.नि. (संगणक) की सहायता से स्थापित किया गया।
  •  इस केन्द्र में  “स्वास्थ्य,  पर्यावरण,  भाषा को सीखने, शिक्षा,  आध्यात्मिक, डीमोनेटईज़ेशन, खेल  -  कूद,  किसान कल्याण,  प्रेरक  कथाएँ,  आईटी,  फिटनेस आदि” के विषयों पर    प्रेरणात्मक  ख्यानमाला    के    अन्तर्गत   हिन्दी  में संगोष्ठी आयोजित किया गया। श्रीमती. पी. सरस्वती, वैज्ञानिक- सी ने  दिनांक 06.03.2016 को पीपीटी के माध्यम से हिन्दी में “पर्यावरण पर संगोष्ठी में व्याख्यान  दिया।
  • केन्द्र के सभी पदधारियों /कु.श्र. को के वेतन पर्ची को  बिल  अनुभाग द्वारा  द्विभाषी में जारी किया गया।
  • हिंदी कार्यान्वयन हेतु, इस केन्द्र के सभी वैज्ञानिकों / अधिकारियों/ / कर्मचारियों के लिए हिन्दी टाइपिंग क्लास को आयोजित किया  गया।  प्रतिभागियों को गूगल वॉइस टायपिंग पर प्रशिक्षण दिया गया।
  • केन्द्र एवं क्षे. का., के.रे.बो., चैन्नै के सभी कार्यालय रजिस्टरों के शिर्षक को द्विभाषी में किया गया है।
  • सभी मिसिलों के अंदर के कवर के भाग को द्विभाषी मॆं टिप्पण तैयार किए व छापे गए तथा प्रत्ये‍क अधिकारी एवं कर्मचारी को अपने दैनिक सरकारी कामकाज में आगे की कार्रवाई के लिए द्विभाषी में टिप्पण की प्रति भी उपलब्‍ध करवाई गई।
  • केन्द्र के डॉ. जी लोकेश,  डॉ. गीता एन मूर्ति,  डॉ. गार्गी, निदेशक और  डॉ.अजित कुमार सिन्हा, निदेशक, केतसंएवंप्रसं, रांची द्वारा रेशमकीट  एन्थीरीया माइलिट्टा ड्रुरी शुक्राणु के शीतसंरक्षण एवं उसका उपयोग  नामक शोध पत्र दिनांक 17 जनवरी, 2018  को बीटीएसएसओ, केरेबो, बिलासपुर में आयोजित की गई तकनीकी हिंदी संगोष्ठी के कार्यवाहियों में प्रकाशित किया गया।
  • इस केंद्र में दिनांक 1 मई  से 23 जुलाई 2018 तक हिंदी प्रबोध, प्रवीण एवं प्राज्ञ पूर्णकालिक गहन प्रशिक्षण का कार्यक्रम अयोजित  किया गया है। हिंदी शिक्षण योजना, चेन्नई के श्री. कोमल सिंह, सहायक निदेशक (राजभाषा), द्वारा उक्त पाठ्यक्रम का संचालन किया गया है। दिनांक 4.06.2018 को प्रबोध पाठ्यक्रम की प्ररीक्षा संम्पन्न हुई।
  • केन्द्र के हिन्दी अनुभाग ने एसएसपीसी कार्यालय को कुल 30 द्विभाषी सील तैयार कर हिन्दी के अतिरिक्त कार्य को संभाला है।
  • केन्द्र में दिनांक 12.03.2024 को आयोजित तकनीकी हिंदी कार्यशाला के दौरान द्विभाषी में शहतूत व्यंजनों पर एक पुस्तिका का विमोचन किया गया।







हिंदी कार्यशाला

हिंदी अधिकारी- डॉ. ऋत्विका सूर चौधरी, वैज्ञानिक-डी
वरिष्ठ हिंदी अनुवादक-श्रीमती. शीबा वी.एस.


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